Monday, October 3, 2016

प्रबंधन की अवधारणा


                         भूमिका


  आज के इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में मानव हर एक काम सुचारू ढंग से करना चाहता है|किसी भी कार्य को समय और उम्मीद के अनुसार कर लेना या करवा लेने की क्षमता के कारण उसमें वह सफल हो पाता है|काम छोटा हो या बड़ा, एक के माध्यम से हो या बहुतों के द्वारा, उसके सकारात्मक परिणाम के लिए प्रबंधन की आवश्यकता होती है|बिना प्रबंधन के कोई भी कार्य सुचारू और व्यवस्थित ढंग से पूरा करना और उद्देश्य को पा लेना संभवतः ना मुम्किन है|मानव जीवन के हर क्षेत्र में प्रबंधन की आवश्यकता होती है|स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, व्यापार, शासन, संगठन और कृषि आदि के उद्देश्यों को सफलता के साथ पूरा करने में प्रबंधन की अहम भूमिका होती है|
  किसी भी चीज़ को समझने और उसकी भूमिका से अवगत होने के लिए उसके बारे में मूलभूत जानकारी का होना ज़रूरी होता है|तो प्रबंधन जिसका जुड़ाव जीवन के हर क्षेत्र से है उसकी अवधारणा और उसके सिलसिले में बुनियादी बातें जानना अति आवश्यक है|

                      प्रबंधन की अवधारणा

  प्रबंधन शब्द एक बहुप्रचलित शब्द है जिसे सभी प्रकार के कार्य के लिए व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है| प्रबंधन का तात्पर्य होता है- बंदोबस्त, इंतजाम, व्यवस्था, बंधन-योजना, और व्यवस्थित क्रम आदि|प्रबंधन किसी कार्य को व्यवस्थित ढंग से करने का माध्यम है|यह दूसरों के द्वारा किए गए कार्यों को सुचारू ढंग से चलाने की व्यवस्था है|प्रबंधक अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए दूसरों से सहयोग लेता है|प्रबंधन में साझेदारी और समन्वय के साथ लक्ष्य को पूरा किया जाता है|यह कार्यपूर्ति का साधन है|इसमें उद्देश्यों का निर्माण करके उसके पूर्ति के लिए विभिन्न प्रकार के वातवरण का निर्माण किया जाता है|
  प्रबंधन हर एक संस्था का महत्तवपूर्ण तत्व होता है|यह संस्था या संगठन संबंधी गतिविधियों को संयोजित, समन्वित करता है और भविष्य के लिए योजना बनाता है|प्रबंधन संगठन को कार्य वातवरण में ढालता और उसको अधिक उपयुक्त बनाता है|यह एक सामूहिक क्रिया है,इसका कार्य व्यक्तियों के कार्यों को एकीकृत करना होता है|प्रबंधन अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करता है|प्रबंधन वह क्रिया है जो हर उस संगठन में आवश्यक है जिस में लोग समूह के रूप में कार्य कर रहे हों|संगठन में लोग अलग-अलग प्रकार के कार्य करते हैं लेकिन वह सभी समान उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं|प्रबंधन लोगों के समान उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में काम  करता है|
  प्रबंधन संस्था को गति प्रदान करता है|अपना ध्यान और प्रयास कार्य को कराने में केन्द्रित रखता है|यह कार्य संस्था में कार्य-वातावरण का निर्माण करता है ताकि कर्मी अपना कार्य पूण क्षमता से कर सके|प्रबंधन का कार्य पूँजी का उचित प्रबंधन करना,मज़दूरी तथा वेतन की व्यवस्था करना, नियम एवं कानून का निर्माण आदि है| इस प्रकार प्रबंधन यह देखता है कि कम से कम साधन और न्यूनतम लागत पर कार्य पूरा व लक्ष्य प्राप्त हो|
  अंततः प्रबंधन को कुछ इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है की यह उद्देश्यों को प्रभावी ढंग एवं दक्षता से प्राप्त करने के मक़सद से कार्यों को पूरा करने की प्रक्रिया है|और यह कि उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूण तरीक़े से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वयन करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके|

        प्रबंधन की अवधारणा विद्वानों के नज़िरये से 

  मैक फर्लैंड कहते हैं: प्रबंधन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रबंधक किसी उद्देश्पूर्ण संस्थान को निश्चित, समन्वित और सहयोग पूर्ण मानव प्रयासों द्वारा निर्मित तथा निर्देशित करता है|
  इन के अनुसार प्रबंधन किसी भी संस्थान के उद्देश्य को पूरा करता है|ये कहते हैं की प्रबंधन की प्रक्रिया लोगों के प्रयास और समन्वयन  द्वारा चलती है जिसकी देख-रेख प्रबंधक करता है|लोगों की साझेदारी और ताल-मेल इसके मुख्य तत्व हैं|

  जार्ज जी.एस. प्रबंधन की अवधारणा में (1) लक्ष्यों की प्राप्ति (2) अनुकूल वातावरण (3)मानव व्यवहार को अहम बताते हुए कहते हैं कि “अनुकूल वातवरण में मानव व्यवहार को प्रभावित करते हुए लक्ष्यों की प्राप्ति निर्धारण की प्रक्रिया प्रबंधन कहलाता है”|
  प्रबंधन एक और अनेक के प्रयासों द्वारा सामूहिक लक्ष्य की ओर अग्रसर रहता है|जिप्सन और इयांस्विच प्रबंधन की प्रक्रिया के सिलसिले में कुछ ऐसा ही मत रखते हैं|कहते हैं कि “प्रबंधन एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयासों को सामूहिक लक्ष्य की ओर समन्वित करती है”|उनके अनुसार व्यक्तिगत प्रयास और सामूहिक प्रयास दोनों प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं|

  कुनेज़ भी प्रबंधन को वातवरण निर्माण में सहायक बताते हैं|वह कहते हैं कि इसी वजह से व्यक्ति समूह में रह कर सफलता के साथ लक्ष्य प्राप्त कर लेता है|उनके मुताबिक “प्रबंधक एक ऐसे वातावरण को निर्माण और निर्वाह करने की प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति समूह में प्रभावशाली, सफलतापूर्वक और पूर्ण क्षमता से कार्य कर सके जिस से सामूहिक लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके|
  प्रबंधन की अवधारणा करते हुए हार्बिसन और मेयर बताते हैं की प्रबंधन में हर एक व्यक्ति की भागीदारी होती है|वे कहते हैं कि “साधारण शब्दों में प्रबंधन किसी संगठन का एक ऐसा पदाक्रम है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति विशेष कार्य करता है”|

  न्यू मैन और समर प्रबंधक को एक सामाजिक प्रक्रिया मानते हैं उन का कहना है कि “यह एक सामाजिक प्रक्रिया है क्योंकि कार्यों की एक श्रृंखला होती है जो कि उदेश्यों की प्राप्ति की ओर ले जाती है|

  जार्ज आर.टी. प्रबंधन की अवधारणा करते हुए कहते हैं कि “प्रबंधन वह प्रक्रिया है जिसमें नियोजन, निर्देशन, नियंत्रण और प्रोत्साहन शामिल होता है, जो लोगों और संसाधनों के द्वारा लक्ष्यों की प्राप्ति को सुनश्चित करता है”|          
 इस अवधारणा के आधार पर प्रबंधन किसी भी कार्य को करने का सुव्यवस्थित तरीक़ा है|इस से यह भी संकेत मिलता है कि प्रबंधक कार्य को सुचारू ढंग से पूरा करने और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कर्मचारियों और संसाधनों का सहारा लेता है|
  प्रबंधन को मानव शरीर भी कहा गया है|विद्वान कहते हैं की जिस तरह शरीर काम करता है उसी प्रकार प्रबंधन भी शरीर की भांति काम करता है|जिसमें नियोजन मस्तिष्क है,संगठन इसका तांत्रिका तंत्र है, निर्देशन श्र्वास तंत्र है तथा नियंत्रण मानव बुद्धि है|

  जार्ज सी.एस. मानते हैं की प्रबंधन की प्रक्रिया में प्रबंधक, कर्मचारी, निर्देशन और लक्ष्य की प्राप्ति मुख्य तत्व होते हैं|उनके अनुसार प्रबंधक वह व्यक्ति है जो दूसरों के प्रयासों को निर्देशित करते हुए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्त कर लेता है|
  मैरी पार्केल प्रबंधन की अवधारणा करते हुए इस को एक कला कहा है|उनका मानना है की किसी भी कार्य को उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए दोसरों से करवा लेना एक कला है|

                           निष्कर्ष  

  अंततः हम यह कह सकते हैं की प्रबंधन की ज़रूरत हर संस्था को होती है और हर संस्था अपना लक्ष्य प्राप्त करना चाहता है जिसके लिए व्यापक प्रबंधन की आवश्यकता होती है|प्रबंधन लक्ष्यों की प्राप्ति का ज़रिया है| यह एक जटिल क्रिया है|संस्था किसी न किसी कार्य को करने के लिए होते हैं|प्रबंधन इन कार्यों को उद्देश्यों में परिवर्तित कर देता है तथा इन उद्देश्यों को प्राप्त करने का मार्ग निर्धारित करता है|प्रबंधन लोगों की ताकत को प्रभावी बनाकर एवं उनके कमज़ोरी को अप्रसंगिक बनाकर उनसे संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए काम कराता है|यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रबंधक संस्था के उद्देश्यों को लोगों के प्रयासों से मुकम्मल करता है|संस्था में ऐसे वातावरण का निर्माण करता है जिस से व्यक्तियों के बीच ताल मेल की भावना पैदा हो ताकि वह सामूहिक उद्देश्यों के लिए सफलता के साथ काम करें|


संदर्भ:
1.    Principles of Management  Second Edition
By: P C Tripathi   and P N Reddy
2.    Internet

3.    wikipedia

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