कहानी
“क्या करुँ कुछ
समझ में नहीं आता.....पूरी रात नींद नही आती....रात में दर्द और बढ़ जाता है” फहद ने डाक्टर से कह
डाक्टर--“अब बिना आपरेशन के इसका इलाज संभव नहीं
है। “जो भी हो इस
परेशानी से निजात तो मिले” फहद ने कहा
“आप इसके आपरेशन के लिए हिन्दुस्तान चले
जाईए” डाक्टर ने कहा
कुछ ही दिन के भीतर मोहम्मद फहद अलहाजरी अपने एक दोस्त के साथ मुंबई के लिए रवाना
होता है।यहाँ पहुचने के बाद वह ऐजेन्ट के जरिया एक अस्पताल में भर्ती हो जाता है।हड्डी
के आपरेशन की वजह से इलाज के लिए काफी समय दरकार था।आपरेशन हो जाने के बाद फहद
काफी सहज महसूस कर रहा था।धीरे-धीरे ज्खम में सुधार आरहा था।तभी उसका सामना एक ऐसे
दिन से होता है जो उसके ज़िन्दगी में एक नया मोड़ पैदा करता है।
सुबह-सुबह का वक़्त है फहद बिस्तर पर
लेटा हुआ था कि अचानक कमरे की घण्टी बजती है......दरवाजा खोला तो उसके सामने 25
साल की एक लङकी खड़ी थी जिसकी लंबी आँख,उँची पतली नाक और संगमरमरी दुधिया बदन ने
उसके दिल में उथल-पथल मचा दी।उस पर नजर पड़ते ही अपने आप को दो घड़ी के लिए भूल
गया........वह कुछ बोल नही रहा था......लगातार उसको देखता रहा कि अचानक लड़की ने
कहा “सर् आप का नाम फहद मोहम्मद अलहाजरी
है न”।
“हाँ हाँ.........”.फहद ने सहमते
हुए जवाब दिया। “और आप.......” फहद ने पूछा।
“आज से नया ऐजेन्ट......सलमा खाँन” लड़की ने जवाब दिया। “अच्छा अच्छा” फिर फहद ने अन्दर आने को कहा। “आप को कोई काम हो तो बता दीजिए जनाब फहद अलहाजरी” अन्दर आने के बाद
बातचीत के दौरान सलमा ने पूछा।
अपने इस नए ऐजेन्ट के साथ फहद काफी खुश था।सलमा इसका
खूब खूब ख्याल रखती....तबीयत पूछती रहती....हर एक काम बहुत सलीक़े और दिल से करती
थी।उसने कभी यह एहसास ही नही होने दिया कि वह घर से दूर है।
फहद की तबीयत में तेजी से सुधार आरहा था।जैसे-जैसे
दिन गुज़रते गए फहद को उसकी हर अदा पसन्द आने लगी।रात में कई पहर उठ-उठ कर उसके
बारे में सोचता....उसे याद करता...उसके सिवा हर एक चीज़ उसे अजनबी लगती।फहद सलमा
को इस हद तक पसन्द करने लगा था कि हमेशा आँखो में उसी का इंतज़ार रहता।आखिरकार
उसने एक दिन यह सोच ही लिया कि वह सलमा को जीवन साथी बनाएगा।
सुबह होती है
सूरज अपनी किरनें जमीन पर फैलाना शुरु करदेती हैं।बाग में चिङिया चहचहाने लगती
हैं।फहद की नज़र दरवाजे पर अटकी हुइ थी कि अचानक घण्टी बजती है।दरवाजा खुलते ही सलमा
अन्दर दाखिल होती है।फहद आज बहुत गुमसुम था।उसे समझ में नहीं आरहा था कि वह अपने
दिल की बात सलमा से कैसे कहे।वह किसी गहरी सोच में डूबा हुआ था।सलमा ने जब फहद को
परेशानी की हालत में देखा तो उसे रहा नही गया और मौन तोड़ते हुए कहा...
“सर् आप इतना परेशान क्यों हो...” “क्या मैं आप की कुछ मदद कर सकती हूँ”
“सलमा मैं तुम से बहुत कुछ कहना चाहता हूँ....समझ में
नही आरहा है कि कहाँ से शुरू करूँ” फहद ने कहा।
“बताइए न सर् क्या बात है” सलमा ने हिचकिचाते हुऐ कहा।
फहद अपने आप को रोक नही
सका और कह दिया कि तुम ने दिल के दरवाजे पर दस्तक दे कर मेरे जज़्बात को भड़काया
है....मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ...मुझे तुम से प्यार है।इतना सुनने के बाद
सलमा के होश उड़ गए,सर पर जैसे बिजली गिरी हो,रूम में सन्नाटा छा गया था।उसकी
बेचैनी बढ़ने लगी थी।वह शरम से पानी पानी होगई।उसमें नज़र मिलाने की हिम्मत नही थी।उसकी
हालत ऐसी थी कि काटो तो खून भी न निकले।बिना कुछ जवाब दिए वह हलके-हलके कदमों से
बाहर आगई और सीधे घर चलीगई।घर आने के बाद वह बहुत गुमसुम थी।उसे कुछ समझ में नही
आरहा था।उसने किसी से कुछ नही बताया और सोगई।रात भर फहद को नींद नही आई।वह सुबह
होने का इंतजार करता रहा।सुबह होते ही रूम की घण्टी बजती है।दरवाजा खोलते ही उसका
मूँह लटक जाता है क्योंकि आज उसके सामने एक नया ऐजेंट था।
कई दिन गुजर जाने के बाद भी फहद उसका इंतजार करता
रहा।जब उसे इंतजार का कोई फायदा नजर नहीं आया तो वह सलमा का पता मालूम करके उसके
घर पहुँचता है।घर पर उसकी मुलाक़ात सलमा के पैरेन्टस से होती है।बहुत देर बातचीत
होने के बाद फहद ने यहाँ आने का मक़सद बताया।उसने सलमा से शादी करने की इच्छा
जाहिर की।उसके माता-पिता को कुछ समझ में नही आया।उन्होने फहद से बाद में मिलने को
कहा।फहद के चले जाने के बाद उन्हने सलमा से पूरी कहानी जानने की कोशिश की।सलमा ने
उन्हे पूरी बात बताई और शादी का फैसला अपने माता-पिता पर छोड़ दिया।उसके माता-पिता
38 साल के फहद से शादी करने को राज़ी नही थे।फहद की कोशिश लगातार जारी रही।उसकी
लाख कोशिशों और वाअदों के बिना पर उन्होने रिशतेदारों से बात की।कई लोगों से
पूछताछ के बाद वह शादी करने को तैयार हो गए।आखिरकार एक शाम को मुंबई में इन दोनों
की शादी होगई।
अच्छे दिन गुज़र रहे थे।सब कुछ सही होरहा था कि अचानक
फहद ने सऊदी वापस जाने का मन बनाया।सलमा के लिए यह खबर बहुत दुखद था क्योंकि वह
उसके साथ नही जारही थी।वह बहुत परेशान होगई लेकिन फहद ने उसको यह यक़ीन दिलाया कि
वह बहुत जल्द वापस आकर उसको भी अपने साथ ले जाएगा।सलमा इस जुदाई से बहुत परेशान थी
लेकिन उसे फहद की जल्द वापसी की उम्मीद थी।
दिन और महीने गुजरते गए।अब भी सलमा के साथ फहद नहीं
सिर्फ उसकी यादें थीं।सलमा को तनहाई से दोस्ती हो गई थी।अल्लाह को रहम आया और उसने
तनहाई में दखल देते हुए सलमा को एक बच्चा नसीब किया।उसने उसका नाम अहमद फहद
रखा।बच्चा हो जाने के बाद भी फहद का कुछ अता पता नही था।फहद के दोस्त को जब पता
चला तो वह बहुत खुश हुआ।सऊदी अरब जाने के बाद उसने यह खबर फहद को दी तब भी उसने
वापस आने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।इधर सलमा को उसकी वापसी का अब भी यक़ीन था।उसने
अपने बेटे को एक अच्छे स्कूल में दाखिल कर दिया।अहमद बहुत ज़हीन और पढ़ने में तेज़
था,वह होशियार और अक़लमन्द था।
कई साल गुज़र जाने के बाद भी फहद ने सलमा से किसी भी
तरह का संपर्क नही किया तो उसके वालिद ने सऊदी सफारतखाना का दरवाज़ा खटखटाया।जब
वहाँ से भी कोई कामयाबी नज़र नहीं आई और उम्मीदें लग-भग खत्म होगईँ तब क़ाजी से
फतवा जानने के बाद 35 साल के ज़ारून नामी लड़के से शादी कर दी।दूसरी शादी होजाने
के बाद सलमा कुछ हद तक संभल गई।ज़ारून भी बहुत अच्छा शौहर साबित हुआ।अहमद अपने
नाना-नानी के पास ही रहने लगा।अहमद ने अब तक अपने अम्मी की शादी के बारे में तमाम
तरह की जानकारियाँ प्राप्त कर चुका था।उसने अपने आप से यह कमिटमेंट कर लिया था कि
वह अपने पिता को ज़रूर ढ़ूढेगा।वह होटल मैनेजमेंट में ग्रजुऐशन करने के बाद नौकरी
के बहाने सऊदी अरब जाने में कामयाब होगया।
सऊदी अरब जाते समय उसने अपने माँ से शादी की
फोटो,निकाहनामा और दूसरे सफारती दस्तावेज़ भी साथ ले गया।ईयरपोर्ट पर उतरते ही
असकी मुलाक़ात एक साउथ इण्डियन से हुई।कुछ ही दिन में यह दोनो एक अच्छे दोस्त बन
गए।अहमद उसी के साथ रहने लगा।एक दिन अहमद ने अपने दोस्त को यहाँ आने का मक़सद बता
दिया।उसने यह सुनने के बाद अहमद का साथ देने और कामयाब होने का यक़ीन दिलाया।उसने
यह बताया कि केरला के लोग यहाँ से एक अख़बार प्रकाशित करते हैं वह हमारी मदद ज़रूर
करेंगे।अन्ततः अहमद ने उस अख़बार में फहद के फोटो के साथ इशतहार निकलवाने में
कामयाबी हासिल कर ली।
एक दिन यह अख़बार फहद के भाई के हाथ लगता है।वह फहद
के फोटो को पहचान लेता है और उसकी सूचना उसे देता है।यह सब जानने के बाद वह परेशान
हो उठता है और अपने बेटे से मिलने को बेक़रार हो जाता है।अपने दोनों बेटों को अहमद
के पास भेजता है।अहमद की कोशिश उस दिन रंग लाती है जब उस का बॉस उसे यह ख़बर देता
है कि उस से दो लोग मिलना चाहते हैं।जब वह उन दोनों के साथ ऑफिस के बाहर आया तब
उन्होने अहमद से पूछा कि तुम फहद मोहम्मद अलहाजरी को कैसे जानते हो? अहमद उन दोनों का परिचय लेने के बाद उन्हें अपने माँ
कि शादी की ग्राफिक्स दिखाता है जिसमें फहद और सलमा एक साथ होते हैं।फोटो देखने के
बाद उन्हों ने निकाहनामे की बात की तब अहमद अन्दर से बैग लाता है और निकाहनामा
उनके हवाले करदेता है।फिर उन्होंने पूछा कि फहद और सलमा की पहली मुलाक़ात कहाँ हुई
थी? इसका जवाब पाकर वह दोनों घर चले
आते हैं।घर पहुँचकर उन्होंने अहमद से हुई बातचीत का ब्यौरा फहद को दिया। फहद यह सब सुनने के बाद भावुक हो जाता
है।उसके आँख से आँसू टपकने लगता है।उस से मिलने की उत्सुकता बढ़ जाती है।उसे बहुत
पछतावा होता है।अपने बेटे से कहता कि जाओ और मेरे हिन्दुस्तानी बेटे को ले
आओ।दूसरे दिन होटल में फहद का बेटा पहुँचता है।वह उसे घर जाने और फहद से मिलने को
कहता है।अहमद बहुत खुश होता है और जाने के लिए तैयार हो जोता है।वह जाने से पहले
बहुत सारे सवालात अपने मन में सोचता है जिसे वह अपने वालिद से पूछना चाहता था।
फहद मोहम्मद अलहाजरी अपने बेटे के स्वागत में पार्टी
का इंतजाम करता है।वह बेटे का स्वागत धूम-धाम से करना चाहता था।अहमद यहाँ पहुँचने
बाद आश्चर्यचकित हो जाता है क्योंकि यहाँ सब कुछ उसे विपरीत ही नज़र आता है।उसने
कभी सोचा ही नही था कि उसका स्वागत का इतना बेहतरीन इंतजाम होगा।फहद उसको गले
लगाकर खूब रोया और पार्टी में मौजूद लोगों के सामने गर्व से कहता रहा कि यह मेरा
बेटा है।पार्टी में मौजूद लोगों ने अहमद से खूब बात की और प्यार किया।अहमद यह
प्यार और स्नेह देखकर भावुक हो गया और मन में उभर रहे सारे सवालात भूल गया।
सुबह होती है आज पूरे परिवार में खुशी का माहौल
है,सभी लोग बहुत खुश नज़र आरहे हैं।अहमद भी अपनी बहन,भाई और सौतेली माँ के साथ
बहुत सहज नजर आरहा है।फहद अलग ही धुन में मस्त है।उन्होंने सलमा के बारे में पूछा
तो अहमद ने पूरी कहानी सुना दी।यह सब सुन कर सभी को बहुत दुख और अफसोस हुआ।सब लोग
गहरी सोच में डूब गए,घर में सन्नाटा छा गया,सब चुप थे।फहद का सर शरम से झुक
गया।उसमें इतनी हिम्मत नही थी कि वह अहमद से नज़र मिला कर बात कर ले।वह रोने लगा
और अपनी गलती तस्लीम करके अहमद से मॉफी माँग ली।
कुछ दिन गुज़र जाने के बाद फहद ने अहमद की शादी भाई
की लड़की से कर दी।शादी और सऊदी नागरिकता
प्राप्त करने के बाद अहमद सऊदी अरब में ही रहने लगता है।
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