Saturday, October 8, 2016

कॉपीराइट के सिद्धांत

आज के इस आधुनिक दौर में हम ने खुद की जीवनशैली और कार्यशैली को भी तेज गति के साथ आधुनिक किया है|इसके पीछे बहुत से कारण हैं|हमारे रहन-सहन और तौर-तरीक़े में बदलाव का सबसे ताक़तवर माध्यम जनसंचार माध्यम है| जनसंचार के विभिन्न माध्यम और विविध आयाम व विधाएं हैं हैं| अगर जनसंचार के विभिन्न माध्यमों और उनमें प्रकाशित व प्रसारित होने वाले विभिन्न विधाओं की बात करें तो उन में विज्ञापनों की भूमिका जीवनशैली को बदलने और प्रभावित करने में सबसे महत्वपूर्ण रही है|

विज्ञापन हमारे जीवन में अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं| हमारी जीवनशैली, कार्यशैली और यहाँ तक कि हमारी मानसिकता को भी विज्ञापन प्रभावित कर रहे हैं|भूमंडलीकरण और आर्थिक उदारीकरण के वर्तमान दौर में विभिन्न कंपनियों के बीच अपनी साख और प्रतिष्ठा स्थापित करने के लिए गला-काट प्रतियोगिता का वातावरण है| ऐसे में स्वंय को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने और दूसरों को पछाड़ने के लिए कम्पनियाँ विज्ञापन को एक अस्त्र के रूप में प्रयुक्त का रही हैं| यही कारण है की आज यह भारत का सबसे तेजी के साथ विकसित होने वाला उद्योग बन गया है|

विज्ञापन हमें विभिन्न उत्पादों और सेवाओं की सूचना देते हैं| उनके साथ प्रत्यक्ष परिचय स्थापित कराते हैं|फिर वे ग्राहक के मन में रूचि उत्पन्न करते हैं और विक्रय के लिए प्रेरित करते हैं|इस प्रकार विज्ञापन उत्पादक, विक्रेता और उपभोक्ता के मध्य सेतु स्थापित करता है|

जब यह इतनी महत्वपूर्ण विधा है तो दुसरे विधाओं की तरह इसमें भी लेखन का महत्वपूर्ण होना आवश्यक है|आज अगर विज्ञापन सबसे बड़ा उद्योग है तो अपने लेखन की वजह से ही है|कोई भी माध्यम हो उस के विज्ञापन को लेखन की आश्यकता होती है| इसकी रचनात्मकता इसके रचनात्मक और माध्यम योग्य लेखन पर ही निर्भर है| विज्ञापन लेखन को आमतौर पर कॉपीराइट कहा जाता है| यह विज्ञापन लेखन का मूलाधार है | यह विज्ञापन कला का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है|इसीलिए एक अच्छे कॉपी राइटिंग के लिए उसके लिए निहित सिद्धांतों का अनुसरण करना बहुत ही महत्वपूर्ण है| विज्ञापन लेखन के भी दूसरे लेखनों की तरह विभिन्न सिद्धांत हैं जिनको जानना एक कॉपी राइटर के लिए बहुत ज़रूरी है|इन को जाने बगैर एक अच्छे कॉपी राइटिंग की कल्पना मुश्किल है|यही वजह है कि विभिन्न माध्यमों के तहत विज्ञापन लेखन के सिद्धांत भी विभिन्न हैं|कॉपी राइटिंग के सिद्धांतों पर ही  आगे चर्चा जारी है|

                     कॉपी राइटिंग के सिद्धांत  

पहले कॉपी राइटिंग का अर्थ मुद्रण माध्यमों के लिए कागज़ पर शब्द लिखना था लेकिन जैसे जैसे माध्यमों का विकास होता गया इस का अर्थ भी बदलता गया| जब रेडियो और टेलीविजन का आविष्कार हुआ तो इसका क्षेत्र काफी विस्तृत हुआ| क्योंकि रेडियो में श्रब्य शब्दों के साथ-साथ संगीत और आवाज़ महत्त्वपूर्ण होते हैं और द्रश्य-श्रब्य माध्यमों में तो शब्दों, चित्रों, संगीतों और आवाजों सभी का सम्मिश्रण होता है| यही वजह है कि इन के सिद्धांतों का पालन करना अति आवश्यक है|
कॉपी राइटिंग की ज़रुरत क्यों है? यह प्रश्न भी विचार योग्य है| विज्ञापन की जो कॉपी होती है उसको हम विज्ञापन की रूपरेखा कह सकते हैं| उसी कॉपी के अनुसार ही विज्ञापन का निर्माण निरंतर और सही दिशा में आगे बढ़ता रहता है, तब जा करके एक आकर्षक और प्रभावी विज्ञापन तैयार होता है| लेकिन इस सिलसिले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक कॉपी राइटर को एक अच्छी कॉपी तैयार करने के लिए उसके सिद्धांतों से अवगत होना अति आवश्यक है|तो आईये कॉपी राइटिंग के सिद्धांतों पर एक नज़र डालते हैं|
*कॉपी राइटिंग के सिद्धांतों में सबसे पहला सिद्धांत यह है कि राइटर को यह पता हो कि वह किस माध्यम के लिए कॉपी लिख रहा है| विज्ञापन का माध्यम क्या है? विज्ञापन समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन या अन्य किसी द्रश्य या श्रब्य माध्यम द्वारा प्रसारित होगा, यह ध्यान रखना आवश्यक है| अगर वह  माध्यमगत अंतर को स्थापित नहीं करता है तो उसकी सारी मेहनत किसी काम की नहीं होगी क्योंकि माध्यमों के बदलने से उस के सिद्धांत भी बदल जाते हैं|
*विषय की जानकारी: कॉपी राइटिंग के अंतर्गत यह बहुत महत्वपूर्ण तथ्य है| अगर विषय का पता नहीं होगा तो कॉपी निर्माण नहीं हो सकता क्योंकि विषय बदलने से सामग्री, रूप रंग, और वस्तु प्रारूप और भाषा आदि सभी कुछ बदल जाते हैं|
*बाज़ार की दिशा और दशा का ज्ञान: बाज़ार की मांग क्या है? वह किस प्रकार का प्रोडक्ट चाहते हैं? हम जिस की कॉपी तैयार कर रहे हैं वह प्रोडक्ट बाज़ार मैं है या नहीं? अगर है तो उसके हालात क्या हैं? किस प्रकार हम उपभोक्ता को अपने प्रोडक्ट की ओर आकर्षित कर सकते हैं? अगर इन सब बातों को ध्यान में रख कर कॉपी राइटिंग की जाए तो फिर हम सफल कॉपी तैयार कर सकते हैं|
*कॉपी में स्पष्टता और संक्षिप्तता होनी चाहिए| अस्पष्ट से बचना चाहिए क्योंकि विज्ञापन तभी कारगर या प्रभावकारी होते हैं जब उस को समझना आसन हो| बड़े व घिसे-पिटे शब्दों और तकिय कलामी से भी बचना चाहिए|
कॉपी में सच्चाई और आत्मीयता का पुट होना आवश्यक है| उपभोक्ता से जुड़ने के लिए मानवीय तथ्यों का होना अधिक ज़रूरी है| क्योंकि किसी के दिल पर राज करना हो तो उस के साथ मानवीय व्यवहार कारगर साबित होता है| सच्चाई का तो कोई तोड़ ही नहीं है| लेकिन एक बार अगर झूठे का धब्बा लग गया तो फिर उपभोक्ता को अपने प्रोडक्ट के सिलसिले में यक़ीन दिलाना मुश्किल हो जाता है| इसीलिए इन बातों को भी ध्यान में रखना ज़रूरी है|
*टू द पॉइंट लिखें........फालतू न लिखें| हर एक शब्द और वाक्य ऐसी होने चाहिए जो सिर्फ और सिर्फ प्रोडक्ट पर बात करे| तथ्यपूर्ण और शार्ट वाक्य का प्रयोग करें| बुर्जुन कहते हैं कि “यह ध्यान रहे कि आप को उपभोक्ता से बातचीत करनी है न कि उनको अपने शब्दों, वाक्यों और फैंसी मुहावरों से प्रभावित करना है” क्योंकि अगर वो चीज़ उपभोक्ता तक नहीं पहुंचेगा जो आप पहुंचाना चाहते हैं तो फिर ऐसी कॉपी का कोई फायदा नहीं है|
*छोटे-छोटे वाक्य और संक्षिप्त पैराग्राफ और आसान शब्दों का प्रयोग करें| पेशेवर कॉपी राइटर हमेशा इस सिद्धांत का प्रयोग अधिक करते हैं|छोटे वाक्यों और पैराग्राफ का लंबे वाक्यों और पैराग्राफ के मुक़ाबले पढना और उसको समझना अधिक आसान होता है| RUDALF FLESCH कहते हैं कि ”कॉपी राइटिंग में एक वाक्य की लंबाई औसतन 14 से 16 शब्दों का होना चाहिए| 20 से 25 शब्द भी संभव है लेकिन 40 शब्द हों तो यह अपाठ्नीय हो जायेगा”| मशहूर कॉपी राइटर JOHN CAPLES कहते हैं कि “बड़े-बड़े शिक्षित लोग भी आसान शब्दों को नापसंद नहीं करते हैं बल्कि वे ऐसे शब्द होते हैं जिसे अधिकतर लोग समझते हैं| सहज राइटिंग आसान शब्दों में हो तो यह बहुत सारे शब्दों वाले वाक्य से अधिक प्रभावपूर्ण होता है| शेक्सपियर का वह यादगार वाक्य किसे नहीं मालूम जिस में उन्होंने तीन ही शब्दों में बहुत कुछ कह दिया था कि “ to be or not to be”|

*कॉपी राइटिंग के सिद्धांतों के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस में भी पांचो ‘क’ पर भलीभांति विचार व मनन कर लेना चाहिए क्योंकि इस से एक प्रभावी और उद्देश्यपूर्ण कॉपी राइटिंग में सहायता मिलती है|

(1)  लक्षित उपभोक्ता ‘कौन’ है? : लक्षित उपभोक्ता की मानसिकता, समझ, स्मरण शक्ति और धारण क्षमता, विज्ञापन की शैली व प्रारूप का निर्धारण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है|
(2)  विज्ञापन ‘किस’ माध्यम द्वारा विज्ञापित होगा? : क्योंकि विज्ञापन सन्देश को संप्रेषित करने वाले प्रत्येक विज्ञापन माध्यम के अपने सरल व दुर्लब पक्ष होते हैं अतः माघ्यम की विशेषताएं भी विज्ञापन शैली के निर्धारण में महत्त्वपूर्ण होती हैं|
(3)  हम ‘क्या’ कहना चाहते हैं?
(4)  हम ‘क्यों’ सन्देश देना चाहते हैं? : यह जानना भी अत्यंत आवश्यक है कि विज्ञापन के उद्देश्य क्या हैं? नए उत्पाद के बाज़ार में प्रक्षेपण, ब्रांड, स्थानिकता की घोषणा, सामाजिक चेतना, प्रतिष्ठान की छवि निर्माण, ब्रांड की छवि निर्माण आदि सभी के लिए अलग-अलग आलेख शैली होते हैं|
(5)  हेमें ‘कैसे’ अपनी बात कहनी है? : विज्ञापन की विषय-वस्तु को प्रस्तुत करने के कई ढंग होते हैं| विषय-वस्तु हल्की-फुल्की, गंभीर और विनोदपूर्ण हो सकती है| यहीं पर यह ध्यान देने योग्य है कि विज्ञापन की विषय-वस्तु का भाव, लक्षित उपभोक्ता के मनोदशा से मेल खाना चाहिए|
*एक कॉपी राइटिंग में ये चार बातें अवश्य होनी चाहिए तभी वह प्रभावपूर्ण कॉपी कहलायेगी|
(1)  आकर्षण बढ़ाने योग्य 
(2)  रूचि बढ़ाने योग्य
(3)  इच्छा पैदा करे
(4)  कार्य के लिए प्रेरित कर सके
*कॉपी तैयार करते समय, लक्षित उपभोक्ता, चयनित माध्यम की विशेषता, व्यावसायिक क्षेत्र की परिस्थितियाँ, उत्पाद की विशेषताएं, यू.एस.पी. उपभोक्ता की नज़र में उत्पाद की स्थानिकता के विषय में जानना अत्यंत आवश्यक है| विज्ञापन की कथावस्तु के पहले चरण में श्रोता को उत्पाद या सेवा से संबंधित तथ्य व सूचनाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिए| उसके बाद दुसरे चरण में श्रोता की मानसिकता व धारणा को परिवर्तित करने का प्रयास करना चाहिए | तीसरे व अंतिम चरण में श्रोता उत्पाद या सेवा क उपभोग के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए|
*एक अच्छी कॉपी राइटिंग के कुछ मूल आधार होते हैं जिनके विभिन्न प्रकार के सिद्धांत हैं| अगर सभी सिद्धांतों पर विचार विमर्श किया जाए तो एक कॉपी का आधार निम्नलिखित तथ्यों पर होनी चाहिए
(1)  शीर्षक
(2)  उपशीर्षक
(3)  अंत
(4)  द्रश्य या चित्र
(5)  बॉर्डर
(6)  ट्रेडमार्क व लोगो
(7)  नारा
(8)  रूपरेखा
(9)  टाइप सेटिंग
(10)             रंगों का चुनाव
(11)             खाली पड़ी जगह का अनुपात

विज्ञापन में शीर्षक का विशेष महत्त्व है क्योंकि शीर्षक ही विज्ञापन की पाठ्य सामग्री को पूरा पड़ने की इच्छा पैदा करता है| वहीं ट्रेडमार्क और रिक्त स्थान कॉपी को आकर्षक बनाते हैं| इसीलिये ‘लोगो’ को बड़े आकर में स्थान देना लाभकारी होता है|विज्ञापन को आकर्षक और स्तरीय बनाने के लिए पर्याप्त मात्र में रिक्त स्थान भी छोड़ा जा सकता है|
*भाषा और शैली पर विशिष्ट ध्यान: विज्ञापन के कॉपी लेखन में भाषा के पैनेपन और अभिव्यक्ति कौशल से संप्रेषण का गुण पैदा किया जाता है|ताकि विज्ञापन उपभोक्ता या लक्षित जनसमूह के मन-मस्तिष्क अपना प्रभाव छोड़ते हुए उत्पाद या सेवा की माँग में वृद्धि का लक्ष्य पूरा किया जा सके|उपभोक्ता के मन पर छाप छोड़ने के लिए कॉपी राइटिंग में अनेक तरीके अपनाए जाते हैं| कभी वाक्य संरचना में तर्क, कल्पना और हास्य की शक्ति का इस्तेमाल किया जाता है और कभी विभिन्न शैलियों का सहारा लिया जाता है|
विज्ञापन में विवरणात्मक शैली के द्वारा उत्पाद या सेवा के बारे में उपभोक्ताओं को पूर्ण जानकारी दी जाती है| इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों में संवाद शैली बहुत प्रचलित है|संवादों के माध्यम से उपभोक्ता में उत्पाद को खरीदने की इच्छा जागृत की जाती है|संवाद शैली में विज्ञापनों की कॉपी इतनी सशक्त और जीवंत होती है कि विज्ञापन उपभोक्ताओं के ह्रदय में उतरते चले जाते हैं|प्रिंट मीडिया भी कभी कभी इस शैली का प्रयोग करते हैं|
विज्ञापनों में वृत्तान्तपरक शैली भी बहुत प्रसिद्ध है| आजकल विज्ञापनों प्रश्नवाचक शैली भी बहुत प्रचलित है| यह शैली विज्ञापन देखने और उत्पाद को समझने की जिज्ञासा पैदा करती है| जैसे – “कैसे मिले खूबसूरत चमकती प्रॉब्लम फ्री त्वचा”|
यही कारण है की कॉपी राइटिंग के सिद्धांतों में भाषा और शैली को महत्त्वपूर्ण जगह प्राप्त है| यह विज्ञापन की जान होती है| अगर आप की भाषा रचनात्मक नहीं है तो आप एक अच्छे कॉपी राइटर नहीं बन सकते हैं|
*कॉपी राइटर को विज्ञापन संबंधित क़ानूनों की भी सही जानकारों होनी चाहिए| जैसे : आई.एस.आई अधिनियम, कॉपी राइट अधिनियम, पेटेंट अधिनियम, अश्लील चित्रण प्रतिबन्ध और जादुई अधिनियम आदि|
कभी-कभी कॉपी अपील का निर्माण भी किया जाता है| इस के लिए नारा गढ़ा जाता है जैसे : “एकमात्र संपूर्ण”, “जन-जन का मनपसंद”, “सबसे किफायती” आदि प्रकार के नारों को कॉपी अपील कहते हैं| कॉपी राइटिंग में इसकी भी अधिक अहमियत है|
हमने विभिन्न सिद्धांतों पर चर्चा किया और कॉपी राइटिंग के लिए उसकी आवश्यकता का भी वर्णन किया| सब कुछ करने और लिखने के बाद हम यह कह सकते हैं कि विज्ञापन की कॉपी तैयार करना कोई खेल नहीं है बल्कि यह बहुत रचनात्मक और मेहनत तलब काम है| लेकिन अगर इनके सिद्धांतों को पैमाना बना कर कॉपी राइटिंग की जाए तो फायेदे मंद साबित होगा|    

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