डाक्युमेंट्री टेलीविज़न
पर प्रयोग होने वाली एक व्यापक विधा है|यह एक कथात्मक फिल्म की तरह होता है जिसके
द्वारा सच्चाई का प्रतिपादन किया जाता है| “डाक्युमेंट्री” अंग्रेज़ी शब्द
“डाक्युमेंट” से बना है जिसका अर्थ है “लेख का प्रमाण पत्र” या “प्रमाण प्रस्तुत
करना”|हिंदी में इसको “वृत्तचित्र” कहा जाता है लेकिन इस शब्द का इस्तेमाल बहुत कम
होता है|डाक्युमेंट्री में यथार्थ ,सत्यता ,वास्तविकता ,प्रामाणिकता आदि गुण समाहित
होते हैं|यह वास्तविक जीवन का ऐसा चित्रण है जिसमें जीवन में घटने वाली घटनाओं की
सच्चाई को प्रस्तुत किया जाता है।सच को सामने लाने के लिए डाक्युमेंट्री बनाई जाती
है|
जीवन में कुछ भी निर्माण
करना ,बनाना ,या रचना करना हो तो उसकी एक प्रक्रिया होती है जिसका सामना हर एक
रचनाकार या निर्माता को करना होता है|बिना प्रकिया के वह पूर्ण रूप से किसी काम
में सफलता नहीं प्राप्त कर सकता|जैसे :चाय बनाते या खाना पकाते समय हमें एक
प्रक्रिया से गुज़रना होता है तब जाकर वह स्वादिष्ट व ज़येकादर बनता है|कुछ इसी प्रकार डाक्युमेंट्री को परिपूर्ण बनाने के लिए
एक प्रक्रिया का सामना करना होता है,
जिसको Documentary
making process या डाक्युमेंट्री
निर्माण प्रक्रिया के नाम से जाना या पहचाना जाता है|यह ऐसी प्रक्रिया है जिसके
कारण एक सफल और कामयाब डाक्युमेंट्री का निर्माण संभव होता है और बिना बाधा व रुकावट
के लगातार वह आगे बढ़ता रहता है और फिर अपनी मंज़िल प्राप्त कर लेता है|इसलिए
डाक्युमेंट्री मेकर को इस प्रक्रिया से अवगत होना बेहद आवश्यक है|
कोई भी काम हो उसका एक
शरू और अंत होता है इन दोनों के बीच के चरण को प्रक्रिया कहते हैं|इसलिए कोई भी
निर्माण प्रक्रिया हो उसके कई स्टेज या चरण होते हैं|वह कई हिस्सों में बटने के
बाद प्रक्रिया कहलाती है| डाक्युमेंट्री निर्माण प्रक्रिया के भी तीन स्टेज होते
हैं|हर एक चरण अपने आप में परिपूर्ण और लाभदायक होता है|किसी भी चरण को नज़रअंदाज़
करना डाक्युमेंट्री के लिए हनिकारक हो सकता है|
1.
Pre-production
2.
Production
or shooting
3.
Post-production
(1)
Pre-production
Pre-production डाक्युमेंट्री का महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है| डाक्युमेंट्री का निर्माण
इसी पर निर्भर करता है|किसी भी डाक्युमेंट्री की सफलता के लिए उसके प्री-प्रोडक्शन
का सफल व परिपूर्ण होना आवश्यक है|यह डाक्युमेंट्री के बुनियाद है| अगर बुनियाद
अच्छी हो तो डाक्युमेंट्री की आगे की प्रक्रिया स्वभाविक ही अच्छी होगी|प्री-प्रोडक्शन
में ही हम डाक्युमेंट्री का प्लान या खाका तैयार करते हैं|यह रूपरेखा
डाक्युमेंट्री के प्रकारों के अनुसार बदलता रहता है|प्री-प्रोडक्शन का सबसे अहम
फायदा यह है की इस से पता चलता है कि हम सही समय पर सही जगह हैं या नहीं|
Pre- production में कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना ज़रूरी होता है|जो
प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद करता है और डाक्युमेंट्री निर्माण की तमाम बाधाओं
को दूर करते हुए सफलता की ओर अग्रसर होता है|
- डाक्युमेंट्री आईडिया (Documentary idea)
इसको कॉन्सेप्ट (concept) भी कहते हैं।डाक्युमेंट्री
बनाने से पहले यह कॉन्सेप्ट बनाना होता है कि किस चीज़ पर डाक्युमेंट्री बना रहे
हैं इसी को डाक्युमेंट्री आईडिया कहते हैं|इसमें डाक्युमेंट्री के बारे में कुछ
बातें बताई जाती है जिससे उसको बनाने का मक़सद साफ हो जाता है|इसके लिए उसमें कुछ
सवालों का जवाब लिखना होता है|सवाल कुछ इस प्रकार होते हैं|
(1)
आप डाक्युमेंट्री क्यों बनाना चाहते हैं?
(2)
डाक्युमेंट्री
किस बारे में होगी?
(3)
आप दर्शक पर किस
तरह का प्रभाव डालना चाहते हैं?
इन्हीं सवालों का
जवाब देते हुए डाक्युमेंट्री आईडिया लिखना होता है|इसको लिखते समय यह ध्यान दें कि
वह 100 शब्दों से ज्यादा न हो बल्कि इन्हीं शब्दों में सरलता से अहम बातें बता
देना एक अच्छे डाक्युमेंट्री आईडिया की निशानी होती है|नए आईडिया का चुनाव करना
अच्छा साबित होता है|
· प्री-प्रोडक्शन में अपने आप से कुछ सवाल करना ज़रूरी होता है|
(1)
जिस विषय पर आप
डाक्युमेंट्री बनाना चाहते हैं उस के लिए मार्किट है या नहीं?
(2)
मैं अपने विषय को
बाज़ार के लोगों के लिए आकर्षक कैसे बना सकता हूँ?
(3)
मैं क्या दिखाना
चाहता हूँ?
(4)
मुझे क्या दिखाना
चाहिए, क्या दिखाने कि ज़रूरत है?
(5)
मुझे यह दिखाने
या बनाने के लिए कितना पैसा चाहिए?
(6)
दर्शक आपकी
डाक्युमेंट्री क्यों देखेगा?
(7)
डाक्युमेंट्री
में दिलचस्पी कैसे पैदा की जाए?
- ट्रीटमेंट
इसके बाद का अगला स्टेज या चरण ट्रीटमेंट है|इसे डीटिअल्स(details) या ब्यौरा भी
कहते हैं|इसमें सारी बातें बता दी जाती हैं| जैसे लोकेशन (location)कि इसे शूट करने के लिया कहाँ जायेंगे ,किन
लोगों से बातें करेंगे और किस लाइब्रेरी वगैरह में रिसर्च करेंगें|इसी प्रकार इस
में क्या-क्या दिखना है यह सब बताना होता है|इसमें शब्द की कोई सीमा नहीं होती है|
- पटकथा (script)
कुछ
डाक्युमेंट्रीज़ में ट्रीटमेंट के इलावा पटकथा भी लिखी जाती है ताकि बात पूरी तरह
क्लियर हो जाए|वैसे कुछ लोग ट्रीटमेंट से ही कम चला लेते हैं तो कुछ लोग स्क्रिप्ट
भी लिखते हैं| डाक्युमेंट्री में आमतौर पर संवाद(dialog) और पटकथा(script) नहीं लिखी जाती है|दर असल यह डाक्युड्रामा
में होता है|
- बजट
इसके बाद बजट का स्टेज आता है|यह भी प्री-प्रोडक्शन का हिस्सा है|हक़ीक़त में बजट के
हिसाब से ही ट्रीटमेंट तैयार करते हैं|बजट का असर ट्रीटमेंट पर होता है|उसी के
अनुसार ही ट्रीटमेंट लिखते हैं|
·
स्काउटिंग (scouting)
इस स्टेज में उस
लोकेशन को ढूंढना होता है जहाँ हम अपने
डाक्युमेंट्री को शूट करना चाहते हैं|
· कास्टिंग (costing)
·
scheduling
or production scheduling
कब शूटिग की
जायेगी ,तारीखें क्या होंगी और किस तारीख़ को शूटिंग के लिए जाना है आदि इन सब का
शेडूल या अनुसूची बनाना यह भी प्री-प्रोडक्शन का हिस्सा है|
·
production crew (निर्माण समूह या
टोली)
आप की जो पूरी
टीम है उस में आप किन-किन लोगों को रख रहे हैं इसका निर्णय इसी स्टेज पर लेते
हैं|इस डाक्युमेंट्री के लिए कैमरामैन कौन होगा ,एंकर किसे रखना है और टोली में
कौन-कौन लोग होंगे इन सब का फैसला भी प्री-प्रोडक्शन का हिस्सा है
·
शूटिंग
यह फैसला करना कि
आप डाक्युमेंट्री को फिल्म पर शूटिंग करेंगे
या कैमरा पर प्री-प्रोडक्शन का ही हिस्सा है|फिल्म की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है
लेकिन यह कैमरा से मंहगा पड़ता है इस लिए आमतौर पर डाक्युमेंट्री के लिए बीच का
रास्ता निकाला जाता है और उसे HD कैमरा पर शूट करते
हैं|
·
Requirement and supply
इस में हमें शूटिंग करने
के लिए जिन चीज़ों की ज़रूरत होती है उसका आर्डर देना होना होता है|कौन सी चीज़ कितनी
चाहिए, लाइट और मेक-अप आदि सामान का आर्डर किया जाता है|इसी प्रकार अगर आप रील पर
शूटिंग करना चाहते हैं तो प्रोसेसिंग लैब से रील की सफाई के लिए टाइम लेना होता है|
·
दृश्यों की सूची
जब आप डाक्युमेंट्री
बनाने वाले होते हैं तो आप दृश्यों की सूची बनाते हैं कि हमें कौन सा सीन कहाँ
लेना है|अगर आप सीन नहीं लिख सकते हैं तो समझ लीजिये कि आप के डाक्युमेंट्री में
कमी है|आप जो डाक्युमेंट्री आईडिया लिखा है अगर उस के लिए सीन नहीं मिल सकता तो
वह डाक्युमेंट्री बेकार है|
·
रिसर्च
डाक्युमेंट्री में रिसर्च
एक खोज की शूरुआत है| डाक्युमेंट्री मेकर एक खोज के लिए निकलता है|उस के पास या
उसके मन में बहुत सारे सवाल होते हैं जिसके जवाब के लिए वह लगातार कोशिश में लगा
रहता है|इसके लिए विभिन्न चीज़ों का सहारा लेना जरूरी होता है|जैसेः
(1) पढ़ना जिस
विषय पर डाक्युमेंट्री बना रहे हैं उस पर जो अच्छी और प्रमारिक किताबें हैं उस को
पढ़ना सहायक साबित होता है|
(2) आर्टिकल या लेख उस विषय पर जितने भी लेख पढ़ सकते
हैं पढ़ें|
(3) ऑनलाइन Google, Wikipedia आदि सर्च इंजन का प्रयोग
करना और इसी तरह ऑनलाइन लाइब्रेरी की मदद लेना|
(4) रिसर्च पर निकलने
से पहले उन जगहों की सूची बनाना जहाँ आप
को जाना है या उन लोगों के सूची बनाना जिन से आप को मिलना है|
(5) इंटरव्यू या बाईट
यह भी रिसर्च का
हिस्सा है|इस के ज़रिये बहुत सी जानकारी प्राप्त
की जा सकती है|इंटरव्यू कई तरह से कर सकते हैं|
· फोन से
· ई-मेल से
· व्यक्तिगत रूप से
· आन-कैमरा
(2)
Production
or shooting
इस को principles photography
(p.p.) भी कहा
जाता है|शूटिंग का
सारा फोकस visual evidence को इकठ्ठा करने
पर होता है|अगर हम कोई बात बता रहें तो डाक्युमेंट्री में उस को
विजुअल्स से साबित करना ज़रूरी होता है|अगर सुबूत ना मिले तो ऐसे वक़्त में ईमानदारी से बता दें कि ऐसा कहा जाता है लेकिन
इस के बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता|
· Shooting
ratio
यह इस स्टेज का अहम हिस्सा है|अगर हम डाक्युमेंट्री
फिल्म पर शूट कर रहे हैं तो शूटिंग का
अनुपात 1 :10 होना चाहिए यानि दस गुना शूटिग करना चाहिए| लेकिन अगर वीडियो पर
शूटिंग करते हैं तो रेश्यो 1 : 20 से बढ़कर 100 तक पहुँच सकता है|चूँकि फिल्म पर शूटिंग
मंहगी होती है इस लिए थोड़ा ध्यान देना जरूरी होता है लेकिन वीडियो सस्ता होता है
इसलिए जितना भी शूट कर लें पैसे का खर्च कम से कम होता है|
· Film
processing and sound transfer
अगर आप डाक्युमेंट्री फिल्म पर शूट कर रहे हैं तो उस
को लैब भेजना पड़ता है और ऑडियो टेप में
साउंड रिकॉर्ड करने के बाद भी साउंड ट्रान्सफर के लिए उसे लैब भेजना होता है|लेकिन
वीडियो पर शूट करने के बाद प्रोसेसिंग की ज़रूरत नहीं होती है क्योंकि वहां वीडियो
और साउंड दोनों डायरेक्ट रिकॉर्ड हो जाता है|
(3)
post-production
post-production
डाक्युमेंट्री मेकिंग प्रोसेस का तीसरा स्टेज है| डाक्युमेंट्री के दोनों चरण की सफलता का दारोमदार इसी चरण
पर होता है|दोनों स्टेज को करने के बाद डाक्युमेंट्री की कामयाबी की कुंजी
पोस्ट-प्रोडक्शन को थमा दी जाती है|इसलिए इस में भी कुछ अहम बातों का ख्याल रखा
जाता है|
·
log
(लाग) तैयार करना
: इस स्टेज में सबसे पहले जो काम होता है वह लाग बनाना होता है इसलिए इसको log
and lock भी कहते
हैं|शूटिंग करने के बाद टाइम देख कर लाग निकाल कर लिख लेते हैं ताकि किसी भी सीन
को आसानी से ढूँढा जा सके|
·
Editing
: इस को डाक्युमेंट्री
निर्माण प्रक्रिया का दिल कहा जाता है| यह पोस्ट-प्रोडक्शन का अहम हिस्सा है| editing को तीन हिस्सों में बांटा जाता है|
(1)
Rough cut : इस में रिकॉर्ड मैटेरियल को सुसंगत किया जाता
है|इस में ऐसे शॉट जिसको हम फाइनल डाक्युमेंट्री में रखना चाहते हैं उसको एक साथ
जमा कर लेते हैं|इसका टेक्निकल
नाम video string out है|इसको रफ कट भी
कहा जाता है|इसकी लम्बाई फाइनल डाक्युमेंट्री से बड़ी होती है|इसमें background music narration ,name
,music ,visual effects or optical effects का केवल सुझाव दिया
जाता है|
(2)
Fine cut : रफ कट के
मुकाबले फाइन कट की यात्रा बहुत धीमी होती है|यह बहुत लम्बा प्रोसेस होता है
क्योंकि इस को बार-बार एडिट किया जाता है|इसमें background music ,narration और visuals आदि को इस में सुसंगित
ढंग से पिरो दिया जाता है|
(3)
Final cut : फाइन कट के बाद फाइनल मंज़ूरी से पहले लोग अपने करीबी लोगों
को दिखा कर उन की राय लेते हैं|अगर कुछ कमी नज़र आती है तो उसमें सुधार कर ली जाती
है जिसको फाइनल एडिटइंग कहते हैं|उसके बाद फाइनल प्रिंट के लिए डाक्युमेंट्री को
भेज दिया जाता है|
·
अगर डाक्युमेंट्री वीडियो पर शूट की गई हो तो उसकी
एडिटिंग दो तरिक़े से करते हैं|
(1)
Offline
editing
(2)
Online
editing
एडिटिंग का जो पहला स्टेज ऑफलाइन होता है इसको डेस्कटॉप पर
करते हैं|यह सस्ता पड़ता है|उसके बाद ऑनलाइन एडिटिंग करते हैं|इसको बड़े editing
suite पर किया जाता है|यहाँ पर narration,
music और
sound वगैरह सब डाल सकते हैं|उसके बाद
फाइनल प्रिंट तैयार होता है|
Very useful ..What was needed is got ..Thank a lot
ReplyDeleteबहुत विस्तार से समझाया गया है
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ReplyDeleteThanks
Bhut sahi tarike se samajhaya gaya hai so thank full
ReplyDeleteIt is amazing. We understood it without any trouble
ReplyDeleteThanks a lot
क्या मुझे कुछ ओरिजिनल स्क्रिप्ट padhne मिल sakti है
ReplyDeleteSuch type of documentary making is very tuff, must need film making knowledge.
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