Tuesday, October 4, 2016

फीचर : ताज महल



ताजमहल सात अजूबों में से एक है।इसका नाम लेते ही दिल में मुहब्बत का एक एहसास जाग उठता है।ताज महल मुहब्बत का एक शानदार नमूना है।बेचैन तमन्नाओं का संगम है।यह दिल के जज़बात की भड़ास है।मुहब्बत का एक ऐसा सिला है जिस का ज़िक्र हर खास व आम के ज़बान पर है।ताजमहल पाकीज़ा और बेदाग मुहब्हत का नतीजा है।

ताजमहल भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा है।इसको मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपने तीसरी बेगम मुमताज़ महल के याद में बनवाया था।यह मुगल वास्तुकला का अद्भुत नमूना है।ताजमहल भारतीय,इस्लामी और ईरानी वास्तुकला के त्त्वों का अनोखा मिश्रण है।यह 25 साल और 20,000 मज़दूरों के मेहनत का परिणाम है।इसका निर्माण कार्य 1632 से शुरु होकर 1653 में मुकम्मल हुआ।इसकी लंबाई व चौड़ाई 130 फिट और बुलंदी 200 फिट है।1983 में ताजमहल विश्व धरोहर स्थल बना।

ताजमहल को देखने की ख्वाहिश हर एक व्यक्ति अपने दिल में रखता है।ताजमहल को आपने दिन में देखा या रात में देखा यह अहमियत नही रखता बल्कि महत्तवपूर्ण बात यह है कि कौन सा अनुभव सबसे ज्यादा याद रखने लायक़ होता है।अगर आप ने ताजमहल को चाँदनी रात में नही देखा तो समझिए कि आप ने ताजमहल ही नही देखा क्योंकि चाँदनी रात में ताजमहल को देखना सबसे यादगार लम्हा और अनोखा अनुभव होता है।
चाँदनी रात के छाँव में नहाया हुआ चमकता ताजमहल का नाम लेते ही ज़ेहन में एक खूबसूरत हीरे का आकार उभरता है।इसके संगमरमरी दुधिया बदन ओर उस पर उकेरी गई सुन्दर नक़्काशी दिल में खूबसूरत उथल-पुथल मचा देती हैं और मन को मोह लेती हैं। अगर आप जिन्दगी के सबसे खूबसूरत व अनोखी रातों से रुबरु होना चाहते हैं,सुनहरी रातों का जादू देखना चाहते हैं और ताजमहल के खूबसूरती का असली मज़ा लेना चाहते हैं तो ताजमहल को पूर्णिमा रोशनी में देखना ज़रुर याद रखें।चाँदनी रातों में ताजमहल देखते ही बनता है।खामूश चाँदनी रातों के माहौल में एक अनोखा अनुभव महसूस होता है।चाँदनी रातों में ताजमहल डायमंड की तरह चमकता है।जब चाँद की रोशनी उस पर पड़ती है तब वह हल्की सिल्वरी रंग में लिपट जाता है।चाँदनी रात में उसको देखने के बाद आप शांत नहीं रह पाएंगे और इसका ज़िक्र अपने दोस्तों से ज़रुर करेंगे।यही वजह है कि ताजमहल के बारे कहा जाता है कि वह चाँदनी रातों के दौरान अपने रंग बदलता रहता है।इसीलिए चाँदनी रातों में ताजमहल सभी को आश्चर्यचकित कर देता है।इसको देखने के बाद ज़िन्दगी भर याद रहना तय है।रात कब गुज़र जाती है और धीरे-धीरे वह अपना रंग कैसे बदलता है इसकी एहसास ही नही होता है।

इतना कुछ जानने के बाद चाँदनी रातों में ताजमहल को देखने की उत्सकता का बढ़ जानायह जानना बेहद अहम है कि ऐसी यादगार रातों का हिस्सा कैसे बना जा सकता है।
  











                                               





                                                          

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