Tuesday, October 4, 2016

डॉक्यूमेंट्री स्क्रिप्ट

                           सीन-1
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धुंधली सुबह है|सूरज की किरणें कोहरों के पीछे से अपनी उपस्तिथि दर्ज करवाने के प्रयास में है|पहाड़ के दुसरे पार से सूरज की हलकी-हलकी रोशनी क़स्बे के ऊपरी हिस्से पर पड़ रही है|एक खूबसूरत मंदिर दिख रही है|एक चौराहा दिखता है, चार चौड़ी सड़कें एक साथ मिली हुई हैं|बीच में गोल घर बना हुआ है|सड़क के दोनों किनारों पर दूकान दिख रहे हैं|सटर बंद हैं|स्वीपर झाड़ू लगा रहा है|दो तीन कुत्ते टहल रहे हैं|दो तीन आदमी आ जा रहे हैं|बहुत से लोग इस दुकान से उस दुकान तक आ जा रहे हैं|रोड पर लोगों का हुजूम दिख रहा है|बाइक्स और कारें भी आती जाती दिखती हैं|
हम ने बहुत से बाज़ारों का नाम सुना होगा, सबकी अपनी विशेषताएं होती हैं|लेकिन नेपाल के कपिलवस्तु जनपद में स्थित इस छोटे से क़स्बे क बारे में जान कर यक़ीनन हैरानी होगी|कृष्णानगर नामी इस क़स्बे को एशिया का सबसे अमीर गाँव भी कहा जाता है|यहाँ की खूबसूरत दुकानें, चौड़ी सड़कें, इम्पोर्टेड सामान और एक सुन्दर मंदिर ग्राहकों और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल होता  है|ठंडी के मौसम में बाज़ार की रौनक़ और बढ़ जाती है|बॉर्डर पर स्थित होने की वजह से भारतीय इस के मुख्य पर्यटक होते हैं|यहाँ पर हमेशा ही लोगों की एक लम्बी भीड़ होती है|अक्सर लोग भारत से आते हैं|आखिर लोग दूर दूर से यहाँ मार्किट के लिए क्यों आते हैं यह जानना अति रूचिकर होगा|
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                                                   सीन-2
बॉर्डर पर स्थित बाज़ार का प्रवेश द्वार का द्रश्य साथ ही कृष्णा नगर लिखा बोर्ड भी दिखता है|लोग आ जा रहे हैं|पुलिस वाले मुस्तैदी के साथ अपनी जगह पर खड़े हैं|कुछ पुलिस जवान आने जाने वालों की तलाशी ले रहे हैं तो कुछ कार, बाइक और ट्रक आदि को चेक कर रहे हैं|
मार्किट खुलते ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता है|लोग बहुत बड़ी तादाद में इस मार्किट की तरफ रुख़ करते हैं|सुबह 8 बजे से लेकर रात 10 बजे तक लोगों का आना जाना लगा रहता है|मुनासिब वातावरण हो इस के लिए सुरक्षा का बड़े पैमाने पर बंदोबस्त किया गया है|बॉर्डर पर ही एंट्री करते समय दो चेक पोस्ट से हो कर गुज़रना पड़ता है|कोई भी भारतीय अपनी कार या बाइक आदि के साथ भी मार्किट तक फ्री सुविधा के तहत जा सकता है|
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                                               सीन-3
बॉर्डर के उस पार स्थित भारतीय रेल का बढ़नी नाम के स्टेशन का द्रश्य है|ट्रेन रूकती है|मुसाफिरों का एक क़ाफिला स्टेशन से बहार आ रहा है|बाहर रिक्शा वाले नेपाल-नेपाल की आवाज़ लगा रहे हैं|
बाज़ार तक पहुंचने में लोगों को किसी भी प्रकार के कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता है| चाहे लोकल हों या बाहर से आने वाले लोग हों|इस बाज़ार तक ट्रांसपोर्ट का उपयुक्त सुविधा उपलब्ध है|बाज़ार से एक किलोमीटर की दूरी पर ही भारतीय रेलवे स्टेशन है|जो पर्यटकों और ग्राहकों के आने जाने का सुलभ और सस्ता माध्यम है|  
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                                                सीन-4
उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का बढ़नी स्टेशन का सीन है|बहुत सी बसें आ जा रही हैं|बहुत से लोग वहाँ मौजूद हैं|स्टेशन के बाहर कई प्राइवेट गाड़ियाँ भी दिख रही हैं|नेपाल बस स्टैंड का सीन है|जीप और बस सवारियों से भरी भरी आ और जा रही हैं|बहुत सी कारें और बाइक्स बाज़ार की तरफ आते हुए दिखते हैं|
इस के सिवा लोगों की भीड़ को देखते हुए और जहाँ तक ट्रेन की पहुँच नहीं है वहाँ पर लोगों को सुविधा देने के लिए बसों का भी प्रबंध है|नेपाल हो या भारत दोनों  ट्रांसपोर्ट निगमों ने यहाँ पर आने वाले लोगों के लिए बेहतरीन ट्रांसपोर्ट व्यस्था मुहैय्या कर रखा है|लोकल लोग भी जीप या छोटी छोटी मिनी बसों के माध्यम से बाज़ार तक पहुँचते हैं|बहुत से लोग खुद की गाड़ी का सहारा लेते हैं|
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                        सीन-5
रेलवे स्टेशन के गेट के बाहर खड़े एक मुसाफिर की बाइट्स जो मार्केटिंग के मक़सद से नेपाल जा रहा है|
मैं यहाँ ट्रेन से आया हूँ|इस बाज़ार तक पहुँचने का यह बेहतरीन ज़रिया हैं|कभी-कभार बस से भी आ जाते हैं|मेरा घर यहाँ से 120 किलोमीटर दूर है|चूँकि नेपाल के इस बाज़ार में इस्तेमाल के इम्पोर्टेड सामान मुनासिब दामों पर मिल जाते हैं|इस लिए आते हैं|सर्दी आजाने की वजह से अभी मैं जाकेट और कोरियन और जापानीज़ कम्बल खरीदने जा रहा हूँ|
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                                              सीन-6
दोपहर का समय है| बाज़ार के एक तरफ का लॉन्ग शॉट है|चौड़े रोड के दोनों तरफ दुकानों के सामने बैग, जाकेट और स्वेटर आदि लटकते हुए दिख रहे हैं|बहुत बड़ी संख्या में लोग खिली-खिली धुप में नज़र आ रहे हैं|बड़े-बूढ़े और महिलाएं व बच्चे सब एक दुकान से दूसरी दुकान की तरफ आने जाने में व्यस्त नज़र आ रहे हैं|      
5 सेकंड नेचुरल साउंड चलने के बाद ................यह बाज़ार के दोपहर का समय है सर्दियों में इसी वक़्त सबसे ज़्यादा भीड़ अक्सर देखने को मिलती है|लोग सर्दी से संबधित चीज़ें, इलेक्ट्रॉनिक सामान, बैग, ट्राली बैग, जूते और गरम मसाला आदि की ख़रीदारी के लिए इस भीड़ का हिस्सा बनते हैं|बेहतरीन कास्मेटिक और बच्चों के खिलौने व गेम आदि महिलाओं और बच्चों के आकर्षक की वजह होते हैं|      
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                        सीन-7
एक दुकान का द्रश्य है|शो केस में क्रीम, साबुन, शैम्पू, इलेक्ट्रॉनिक सामान, तौलिया और जाकेट आदि दिख रहे हैं|दुकान के काउंटर पर कई ग्राहक और दो दुकानदार दिख रहे हैं|दूकानदार सामान दिखा रहा है और ग्राहक मूलभाव कर रहे हैं|
अक्सर दुकानों पर ज़रूरी चीज़े प्राप्त होती हैं|ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दुकान को बहुत खूबसूरत बनाया जाता है|शीशों के केसों में सामान को सलीक़े से सजा दिया जाता है|
   
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                        सीन-8
एक दुकानदार का इंटरव्यू जिसके पास मार्किट में तीन अलग-अलग प्रकार की दुकानें हैं|वह दुकान के काउंटर पर बैठा हुआ है|
हमारे पास अक्सर चीज़ें कोरिया, जापान, चाइना, इंडोनेशिया और वेतनमान की बनी हुई होती हैं|हम इनको काठमांडू से लाते हैं|बाहर का माल होने की वजह से भारतीय लोग इस को खरीदने आते हैं|यहाँ पर बड़े शहरों की तरह ज़रूरत के सभी सामान उपलब्ध हैं|नेपाल के लोकल लोग भी इस बाज़ार में आते हैं| सर्दियों में भारत से ज़्यादा लोगों का आना होता है|जाकेट, कम्बल और इलेक्ट्रॉनिक सामान  मुख्य रूप से ज़्यादा बिकते हैं|
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                                            सीन-9
एक ग्राहक का इंटरव्यू जो की हाथ में ट्राली बैग और जाकेट ले कर बाज़ार में खड़ा है|उस के आस-पास से आने जाने वालों का भी द्रश्य खासतौर पर उनके हाथ में मौजूद चीज़ों को दिखाया जा रहा है|
मैं ने यह सब सामन यहीं लिया है|मैं यहाँ  80 किलोमीटर दूर से आया हूँ|अक्सर मैं और मेरे दोस्त इसी बाज़ार से इस्तेमाल की चीज़ें खरीदते हैं|सामन भी बढ़िया होता है और दाम भी मुनासिब लगाते हैं|यह जाकेट मैं ने 1500 रु का लिया है|कई सालों से मैं यहाँ आता हूँ|प्रसाशन और यहाँ के लोग भी बहुत अच्छे हैं| न तो चोरी का डर रहता है और न ही दुकानदार ज़्यादा पैसा बोलते हैं| 
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                        सीन-10
बाज़ार संगठन के अध्यक्ष के बाइट्स
यह बहुत भीड़ वाली जगह है| बहुत से जगहों से लोग यहाँ आते हैं| बाज़ार में वातावरण बढ़िया बना रहे और किसी को भी किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो इसलिए हम ने एक संगठन बना रखा है जो की बाज़ार की तमाम चीज़ों पर नज़र रखता है|सामान का रेट क्या होगा, कोई दुकानदार ग्राहकों से ज्यादा पैसे तो नही ले रहा है इस पर नज़र भी रखा जाता है|करेंसी एक्सचेंज की परेशानी से बचाने के लिए दुकानदार इंडियन रूपया सीधे बैंक रेट पर ले लेते हैं|   
   सीन टाइम(ST)   00:23
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नेपाल के एक प्रसिद्ध मार्किट पर आधारित डॉक्यूमेंट्री के
                10 सीन   

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